हिंदुस्तान कॉपर के लिए पिछला हफ्ता किसी सपने जैसा रहा है। सोमवार को शेयर में आई 11 फीसदी की तूफानी तेजी ने कंपनी के मार्केट कैप को पहली बार 50,000 करोड़ रुपये के पार पहुंचा दिया। यह केवल एक संख्या नहीं है, बल्कि यह इस बात का प्रतीक है कि निवेशक अब कमोडिटी आधारित सरकारी कंपनियों (PSUs) पर कितना भरोसा जता रहे हैं। पिछले महज सात ट्रेडिंग सत्रों में शेयर ने करीब 50% का रिटर्न देकर यह साबित कर दिया है कि बाजार में 'तांबे की आंधी' चल रही है।
क्यों लगी है हिंदुस्तान कॉपर के शेयरों में आग?
इस जबरदस्त उछाल के पीछे कोई एक कारण नहीं, बल्कि ग्लोबल और घरेलू कारकों का एक सटीक तालमेल है:
1. वैश्विक सप्लाई और ऊंचे दाम
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तांबे की कीमतों में भारी उछाल देखा जा रहा है। अमेरिका द्वारा तांबे पर आयात शुल्क लगाने की सुगबुगाहट और दुनिया की प्रमुख खदानों में उत्पादन संबंधी बाधाओं ने तांबे की कमी (Supply Crunch) पैदा कर दी है। चूंकि हिंदुस्तान कॉपर देश की एकमात्र ऐसी कंपनी है जो तांबे के खनन से लेकर परिष्करण (Refining) तक का काम करती है, इसलिए कीमतों में बढ़ोत्तरी का सीधा फायदा इसके बॉटम-लाइन (मुनाफे) पर दिखता है।
2. EV और रिन्यूएबल एनर्जी का 'ईंधन'
तांबा भविष्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। चाहे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) हों, चार्जिंग स्टेशन हों या सोलर पैनल, तांबे का इस्तेमाल अनिवार्य है। एक इलेक्ट्रिक कार में पारंपरिक कार के मुकाबले चार गुना ज्यादा तांबा लगता है। दुनिया जिस तरह से 'नेट जीरो' और क्लीन एनर्जी की ओर बढ़ रही है, तांबे की मांग में कमी आने की कोई संभावना नहीं दिखती।
निवेशकों के लिए 'मल्टीबैगर' साबित हुआ स्टॉक
आंकड़ों पर गौर करें तो हिंदुस्तान कॉपर ने अपने निवेशकों को मालामाल कर दिया है:
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शॉर्ट टर्म: पिछले एक महीने में 40% से ज्यादा की बढ़त।
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इयर-टू-डेट (YTD): इस साल अब तक निवेश लगभग दोगुना हो चुका है।
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लॉन्ग टर्म: पिछले 5 वर्षों में इसने मल्टीबैगर रिटर्न देकर पारंपरिक फिक्स्ड डिपॉजिट और सोने को कहीं पीछे छोड़ दिया है।
सावधानी और निवेश की रणनीति
इतनी बड़ी रैली के बाद अक्सर बाजार में एक सवाल उठता है—क्या अब निवेश करना सही है?
विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी शेयर में जब इतनी तेज वर्टिकल रैली (सीधी चढ़ाई) आती है, तो 'प्रॉफिट बुकिंग' की संभावना बढ़ जाती है। जो निवेशक शॉर्ट टर्म के लिए जुड़े हैं, उन्हें ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि उनका मुनाफा सुरक्षित रहे।
वहीं, लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए सलाह है कि वे 'FOMO' (छूट जाने का डर) में आकर ऊंचे स्तरों पर एकमुश्त खरीदारी न करें। कंपनी का फंडामेंटल मजबूत है और कॉपर की डिमांड स्टोरी लंबी है, इसलिए हर गिरावट (Dip) पर धीरे-धीरे खरीदारी करना एक बेहतर रणनीति हो सकती है।
निष्कर्ष: हिंदुस्तान कॉपर की यह उड़ान केवल कीमतों का खेल नहीं है, बल्कि यह बदलते वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य का संकेत है। तांबा अब सिर्फ एक धातु नहीं, बल्कि भविष्य का 'नया तेल' (New Oil) बनता जा रहा है।